इन के कारण हमेशा दुखी रहता है मनुष्य, नहीं मिलता कही बी सुख-चैन
कुशल अर्थशास्त्री और नीति शास्त्र के महान ज्ञानी आचार्य चाणक्य जी ने अपने नीतिशास्त्र में कुछ परिस्थितियों के बारे में बताया है जिसके कारण मनुष्य कभी भी खुस नहीं रहता है. आचार्य ने कहा है कि व्यक्ति को सुख-चैन प्राप्त करने के लिए अपने अंदर बहुत से बदलाव करने चाहिए. आओ जाने क्या है क्या हैं वो।
Chanakya Niti In Hindi: मनुष्य अपने जीवन में बहुत तरह की परेशानियों से घिरा हुआ रहता है. वो परेशान रहते हुए भी सुख-चैन की तलाश निरंतर लगा रहता है. अर्थशास्त्री और नीति शास्त्र के महान ज्ञानी आचार्य चाणक्य जी ने भी अपने नीतिशास्त्र में इन कुछ परिस्थितियों का उल्लेख किया है जिसके कारण मनुष्य जीवन में हमेशा दुखी रहता है.
वो कहते हैं कि व्यक्ति को सुख-चैन प्राप्त करने के लिए अपने भीतर कुछ चीजों में बदलाव व कुछ चीजों का त्याग करना बहुत जरुरी हैं . आइए जानते हैं इन चीजों के बारे में...
कुग्रामवासः कुलहीन सेवा कुभोजन क्रोधमुखी च भार्या।
पुत्रश्च मूर्खो विधवा च कन्या विनाग्निमेते प्रदहन्ति कायम्॥
आचार्य चाणक्य ने कहा है कि मनुष्य को ऐसी जगह पर बिलकुल बी नहीं जाना व रहना चाहिए जो पहले से ही बदनाम हो. ऐसी जगह पर रहने वाले लोग बहुत अधिक बुरे होते हैं. ऐसे में वो लोग किसी भी दूसरे मनुष्य का भला नहीं सोचते हैं . यही कारण है कि वहां रहने से संतानों पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है और बहुत बड़ी हानि होने का खतरा बना रहता है.
अगर कोई मनुष्य गलत कार्यों में आप को शामिल करना चाहता हो तो ऐसे मनुष्य से दूर रहना चाहिए, और ना ही इनकी सहायता करनी चाहिए चाणक्य ऐसे लोगों को मदद करने को अधर्म मानते हैं. वो कहते हैं कि बुरे कार्यों में लिप्त व्यक्ति का साथ आप को बर्बाद कर देता है. अच्छे से अच्छा व्यक्ति भी ऐसे लोगों का संग पाकर बर्बाद हो जाता है. इसलिए ऐसे लोगों के साथ कभी नहीं करना चाहिए.
इस श्लोक में चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य को उतना ही भोजन ग्रहण करना चाहिए जितनी उसको जरुरत हो. ज्यादा भोजन करना बी हानिकारक होता है. साथ ही जो भोजन आप कर रहे हैं वो शुद्ध होना चाहिए. भोजन ठीक न हो तो आप की तबियत बिगड़ सकती है और फिर व्यक्ति दूसरे काम में आप का मन नहीं लगता आप अपनी तबियत के बारे में ही हमेसा सोचते रहते है.
व्यक्ति को अगर बेहतर महिला का साथ मिले तो वो कठिन से कठिन रस्ते को भी पार कर जाता है. पत्नि अच्छी हो तो वो अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल कर लेता है और आसानी से सफलता को प्राप्त कर लेता है. वहीं जीवन संगीनी अगर मन और विचार ही सही न हो तो आप की परेशानी बढ़ सकती है. ऐसे व्यक्ति हमेशा मन ही मन बहुत दुखी रहते हैं और अपने लिए जीवन भर कुछ भी नहीं कर पाते.
संतान अगर मूर्ख हो तो मां-बाप के लिए दुखो का कारण बनती हैं . चाणक्य कहते हैं कि ऐसी संतान को त्याग देने में ही भलाई हैं. मूर्ख संतान हमेशा परेशानी लाती है.
चाणक्य एक और बहुत गहरी बात कहते हैं कि विधवा बेटी के पिता का जीवन सबसे कठिन माना जाता है. ऐसा पिता जीवन भर दुखी रहता है.